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Wednesday, March 12, 2025
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9वें लॉ कॉलेज देहरादून मूट कोर्ट प्रतियोगिता- 2025 की विजेता, स्कूल ऑफ लॉ नारसी मोंजी, चण्डीगढ़ कैम्पस बनी

स्कूल ऑफ लॉ नारसी मोंजी, चण्डीगढ़ कैम्पस बनी 9वें लॉ कॉलेज देहरादून मूट कोर्ट प्रतियोगिता – 2025 की विजेता
लॉ कॉलेज देहरादून के मूट कोर्ट में ‘बुल्डोजर न्याय’ की वैधानिकता पर हुई जोरदार बहस
हर असफलता दे जाती है सफलता की शिक्षाः न्यायमूर्ति महबूब अली
देेहरादून 23 फरवरी। आज भारत के संविधान पर आधारित 9वीं लॉ कॉलेज देहरादून मूट कोर्ट प्रतियोगिता का अन्तिम मुकाबला स्कूल ऑफ लॉ नारसी मोंजी, चण्डीगढ़ कैम्पस व विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्ट्डीज, इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली के बीच हुआ। इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायधीश न्यायमूर्ति महबूब अली इस अवसर पर मुख्य अतिथि व पीठासीन जज थे। जबकि विश्वविद्यालय के कार्यकारी निदेशक डा० अभिषेक जोशी बतौर विशिष्ठ अतिथि मौजूद थे। उच्चतम न्यायालय के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अंकुर यादव, अधिवक्ता एवं इनडिपेंडेंट थॉट के संस्थापक डा० विक्रम श्रीवास्तव, रब एण्ड रब एसोशिएट के पार्टनर एवं नैनीताल हाई कोर्ट के अधिवक्ता डा० अमन रब व लॉ कॉलेज देहरादून के डीन प्रो० राजेश बहुगुणा बतौर जज की भूमिका में थे। पांच जजों की संविधानिक पीठ के समक्ष विचारणीय मुद्दे थे – बुल्डोजर न्याय की वैधता, दलबदल कानून के प्रावधान, विधान सभा स्पीकर की शक्तियां व अवैधानिक व आतंकवादी कार्यकलापों की विवेचना।

कॉलेज के डीन प्रो० राजेश बहुगुणा ने बताया कि इस प्रतियोगिता के लिए 23 न्यायालयों की स्थापना की गई जबकि कुल 51 महानुभावों को जजों के रूप में आमंत्रित किया गया था। अंतिम मुकाबले में कांटे की टक्कर देखने को मिली। सरकार की ओर से पैरवी कर रहे प्रतिभागियों ने अवैधानिक एवं आतंकवादी क्रियाकलापों का हवाला देते हुए बुल्डोजर न्याय सहित सरकार के हर कार्य को वैधानिक करार दिया। याचिकाकर्ताओं की पैरवी कर रहे प्रतिभागियों ने बुल्डोजर एक्शन को विश्व का सर्वाधिक क्रूर एक्शन बताते हुए अनेकों नजीरें प्रस्तुत कर सरकारी कार्यों को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की।

विजेता- स्कूल ऑफ लॉ नारसी मोंजी, चण्डीगढ़ कैम्पस
उपविजेता- विवेकानंद इंस्टीट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्ट्डीज, इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
सर्वश्रेष्ठ महिला अधिवक्ता- भाविका, डा0 बी0 आर0 अम्बेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, लखनऊ
सर्वश्रेष्ठ पुरूष अधिवक्ता- धर्मपाल कुमार, गर्वमेंट लॉ कॉलेज, मुम्बई
सर्वश्रेष्ठ मेमोरियल- सिम्बायोसिस लॉ स्कूल, पुणे
सर्वश्रेष्ठ रिसर्चर- श्रेया मिश्रा, लॉयड लॉ कॉलेज, नोयडा, उ0प्र0

न्यायमूर्ति महबूब अली ने अपने संबोधन में कहा कि लॉ कॉलेज द्वारा आयोजित यह प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तरीय मूटकोर्ट का एक अनुकरणीय उदाहरण है। प्रतिभागियों का स्तर व उनकी प्रस्तुति ने वास्तविक कोर्ट की याद दिलाई उन्होंने कहा कि मूट कोर्ट एक कला है जिसमें दक्षता छात्रों के लिए वकालत के मार्ग प्रशस्त करती है। कोर्टशीप के गुर सिखातें हुए उन्होंने कहा कि एक सफल अधिवक्ता को जहाँ एक ओर तर्कदक्षता से पूर्ण होना चाहिए वही उसे विधि व्यवसाय के प्रति समर्पण भाव भी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक अधिवक्ता को सफलता व असफलता दोनो के लिए तैयार रहना चाहिए। असफलता से हमेशा सफलता की शिक्षा मिलती है ओर उसे आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने अधिवक्ताओं के विनम्र व्यवहार का महत्व बताते हुए कहा कि विनम्रता केस की मेरिट पर चार चांद लगा देती है।

कार्यक्रम को अंतिम मुकाबले के जज अंकुर यादव, डा० विक्रम श्रीवास्तव, डा० अमन रब द्वारा भी संबोधित किया गया। जबकि कॉलेज की प्राचार्या प्रो० पूनम रावत द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम में विशेष रूप से कार्यकारी निदेशक डा० अभिषेक जोशी, डा० पूनम रावत, डा० राधे श्याम झा, डा० अंजुम परवेज, डा० रमाकांत त्रिपाठी, डा0 अनिल दीक्षित, डा0 लक्ष्मी प्रिया एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

प्रो0(डा0) राजेश बहुगुणा
डीन
7983285811

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