Monday, December 23, 2024
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Homeउत्तराखंडलॉ कॉलेज देहरादून में राष्ट्रीय सेमिनार इनोसस्टेन के द्वितीय संस्करण का आयोजन

लॉ कॉलेज देहरादून में राष्ट्रीय सेमिनार इनोसस्टेन के द्वितीय संस्करण का आयोजन

प्राकृतिक संसाधनों से जरूरत भर लेने में ही सब की भलाईः अनिल जोशी

देहरादून 25 अक्टूबर। उत्तरांचल विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज देहरादून में दो दिवसीय राष्टीªय सेमिनार इनोसस्टेन के द्वितीय संस्करण का आयोजन किया गया। प्रख्यात प्रर्यावरणविद् डा० अनिल जोशी इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं कॉलेज ऑफ फॉरेस्ट्री के प्रो० एस०पी० सती बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। विश्वविद्यालय के अध्यक्ष जितेन्द्र जोशी, कुलपति प्रो० धर्म बुद्धि, उपकुलपति प्रो० राजेश बहुगुणा व प्राचार्य प्रो० पूनम रावत संग अतिथियों ने दिप प्रज्वलित कर सेमिनार का शुभारंभ किया।
सेमिनार के संयोजक प्रो० राजेश बहुगुणा ने बताया कि इस राष्ट्रीय सेमिनार में देश भर के 30 से अधिक विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के 457 शिक्षक व शोधकर्ता भागीदार कर रहे हैं। आयोजकों द्वारा 224 शोध पत्र प्राप्त किये जिनमें से 122 शोध पत्रों को प्रकाशन एवं प्रस्तुतिकरण हेतु चयनित किया गया।
अपने संबोधन में डा० अनिल जोशी ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के उपभोग और उनके संरक्षण में सहयोग के मध्य संतुलन बनाना सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण जैसे विषयों पर होने वाली सेमिनार व गोष्टियां और शिक्षा संस्थानों व पर्यावरणविदों के प्रयास तब फलीभूत होंगे जब नीति निर्माता, आम जनता और सरकारें इन्हें गंभीरता से लेगें। अपने विस्तृत व्याख्यान में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का मूलमंत्र दिया कि प्राकृतिक संसाधनों से जरूरत भर लेने में ही सबकी भलाई है। प्राकृतिक संसाधनों का जरूरत भर लेना ही वास्तव में विकास और उपभोग का संतुलन है।
प्रो० एस०पी० सती ने अपनी प्रस्तुति हिमालय पर केन्द्रित रखी। सर्व प्रथम उन्होंने हिमालय की संरचना और वर्तमान रूपरेखा को समझाया। उन्होंने हिमालय पर ग्लेसियरों का पिघलना, कहीं अत्याधिक वर्षा, कहीं सुखा जैसे विषयों पर हुई शोध को प्रस्तुत किया। उन्होंने चिन्ता जताई कि हिमालय क्षेत्रों में एक बड़े भूकम्प को लाने में सक्षम ऊर्जा का भण्डारण हो रहा है। पहाड़ों में स्थापित बेतहाशा हाइड्रो प्रोजेक्टस उसमें सोने में सुहागा जैसा काम कर रहे हैं।
प्रो० धर्म बुद्धि ने अपने संबोधन में कहा कि विधि के विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षा को प्रेक्टिस कर सामाजिक परिवर्तन में मध्य भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने सेमिनार को अतुलनीय और सफल बताया।
प्रो० पूनम रावत ने राष्ट्रीय सेमिनार में भागीदारी कर रहे विषय विशेषज्ञों, शिक्षकों व शोधकर्ताओं सहित उपस्थित महानुभाओं का धन्यवाद ज्ञापित किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से डा० वी०पी० जोशी, प्रो० एम०पी० सिंह, के०वी० पोखरियाल, डा० राधेश्याम झा, डा० वी भुवनेश्वरी, अमित चौधरी, डा० मनीष भारद्वाज, डा० शिखा गैरोला, डा० वैभव उनियाल व अशोक डोभाल सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी व छात्र उपस्थित थे।

प्रो० राजेश बहुगुणा
उपकुलपति/डीन
मो० 7983285811

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