लॉ कॉलेज देहरादून में छात्रों ने सीखें मनोवैज्ञानिक शव-परीक्षण के गुर
देहरादून 17 नवम्बर। उत्तरांचल विश्वविद्यालय के लॉ कॉलेज देहरादून में आज फॉरेंसिक जाँच पर आधारित मनोवैज्ञानिक शव-परीक्षण विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। देश की सुविख्यात एवं प्रथम महिला फॉरेंसिक वैज्ञानिक एवं महाराष्ट्र सरकार की फॉरेंसिक लेब की पूर्व निदेशक डा0 रूकमणी कृष्णामूर्ति इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता उपस्थित थी। दो सत्रों में विभाजित इस वर्कशॉप में पहले सत्र में बतौर विषय विशेषज्ञ डा0 अंजुम परवेज ने फॉरेंसिक साक्ष्यों के कानूनी पक्ष को समझाया जबकि दूसरे सत्र में डा0 रूकमणी कृष्णामूर्ति द्वारा आत्महत्या या अन्य अस्पष्ट मौतों के पीछे के मनोवैज्ञानिक कारकों को समझने व उनका कानूनी मामलों में साक्ष्य के रूप में उपयोग करने सम्बन्धि तकनीकियों को समझाया गया। कार्यशाला में लॉ एवं फॉरेंसिक विज्ञान के 300 छात्रों ने भागीदारी की।
अपने सम्बोधन में विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो0 राजेश बहुगुणा ने कहा कि मनोविज्ञान शव-परीक्षण एवं पीड़ित विज्ञान साक्ष्य उपकरण के रूप में मृत्यु के कारणों का विश्लेषण करने का एक अचूक उपकरण हैं। उन्होने कहा कि भारत के नये अपराधिक कानूनों में फॉरेंसिक विशलेषण को विशेष तरजीह दी गई है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 धर्मबुद्धि ने कहा कि फॉरेंसिक एक बहुविषयक ज्ञान की शाखा है जिसका महत्व लॉ में तेजी से उभरकर आया है। उन्होंने छात्रों को थ्योरी के साथ-साथ फोरेंसिक के प्रेक्टिकल पक्ष पर भी दक्षता हासिल करने की सलाह दी।
डा0 रूकमणी कृष्णामूर्ति ने अपनी प्रस्तुति उनके द्वारा संभाले गए राष्ट्रीय मामलों के आधार पर दी जिनमें 1993 के मुंबई विस्फोट, तेलगी स्टाम्प घोटाला, 26/11 मुंबई आंतकवादी हमले, घाटकोपर और जावेरी बाजार विस्फोट, जेजे अस्पताल चोरी का बच्चा मामला और किंगफिशर एयरलाइन घोटाला शामिल हैं। उनका सत्र इंटरएक्टिव रहा और प्रतिभागियों के हर प्रश्न एवं शंका का समाधान किया गया।
कार्यक्रम में विशेष रूप से प्रो0 अजय सिंह, डा0 डी कृष्णामूर्ति, प्रो0 राधेश्याम झा, डा0 ऐश्वर्य सिंह, अशोक डोभाल, ईशा सिंह, देवेश तिवारी, हिमांशु सौरभ, मुस्कान गुपता सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।
