देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा पथ संचलन आयोजित किया जाना गहरी चिंता का विषय है यह कहना है उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी का।दसौनी ने कहा यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि अब शिक्षा के मंदिरों को भी विचारधारा विशेष के प्रचार-प्रसार का मंच बनाया जा रहा है।
गरिमा ने कहा कि मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान ज्ञान, विज्ञान और मानवीय सेवा के प्रतीक हैं — न कि किसी राजनीतिक या सांप्रदायिक संगठन के शक्ति प्रदर्शन का स्थल। ऐसे आयोजनों से न केवल शैक्षणिक वातावरण दूषित होता है बल्कि छात्रों में वैचारिक विभाजन की दीवारें खड़ी होती हैं।गरिमा दसौनी ने तीखा कटाक्ष करते हुए कहा कि
यदि मेडिकल कॉलेजों में भी अब पथ संचलन होंगे, तो फिर डॉक्टरी की पढ़ाई छोड़कर सभी युवा ताली बजाने, थाली पीटने और दिया जलाने के अभियान में लग जाएं! क्या यही है ‘नए भारत’ की शिक्षा नीति — जहाँ विज्ञान की जगह विचारधारा और अनुसंधान की जगह नारेबाज़ी सिखाई जाएगी?
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के संरक्षण में संघ अब हर शिक्षण संस्थान में अपनी शाखाएँ जमाने की कोशिश कर रहा है। यह प्रवृत्ति संविधान की मूल भावना धर्मनिरपेक्षता और अकादमिक स्वतंत्रता — के खिलाफ है।
दसौनी ने मांग करते हुए कहा है कि उच्च शिक्षा विभाग और राज्य सरकार इस मामले में तत्काल संज्ञान लें और स्पष्ट करें कि सरकारी व सरकारी-मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में किसी विचारधारा विशेष के संगठन को ऐसे आयोजन की अनुमति कैसे दी गई।
गरिमा ने कहा कि देश का भविष्य इस तरह के आयोजनों से नहीं बल्कि शिक्षा, विज्ञान और संवैधानिक मूल्यों पर निर्मित होगा।
दसोनी ने इसे विडंबना ही बताया कि एक तरफ ग्रामीण अंचलों में लोग जंगली जानवरों का निवाला बन रहे हैं दूसरी तरफ एनसीआरबी यानी नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो के अनुसार पिछले 1 वर्ष में उत्तराखंड में 1209 नाबालिक बच्चे लापता हो गए हैं लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ना ही किसी आपदा ग्रस्त क्षेत्र में राहत कार्यों में हाथ बंटाते हुए देखा गया ना ही किसी गरीब की मदद करते हुए।
गरिमा मेहरा दसौनी
मुख्य प्रवक्ता
उत्तराखंड कांग्रेस