विकास और विनाश का पैमाना जरूरी -पूर्व मुख्य वन संरक्षक जयराज
“विकास और पारिस्थितिक नाजुकता में संतुलनः हिमालयी क्षेत्र में आपदा चनौतियों का समाधान” विषय को लेकर सेमीनार का किया गया आयोजन

देहरादून 9 सितम्बर। उत्तरांचल विश्वविद्यालय के लाॅ काॅलेज देहरादून में आज हिमालय दिवस को धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर “विकास और पारिस्थितिक नाजुकता में संतुलनः हिमालयी क्षेत्र में आपदा चनौतियों का समाधान” विषय को लेकर एक सेमीनार का आयोजन किया गया। प्रदेश के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख श्री जयराज इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता उपस्थित थे। हाई ब्रिड मोड में आयोजित इस सेमीनार में उत्तरांचल विश्वविद्यालय सहित देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन वसुंधराए द ग्रीन सोसाइटी के तत्वावधान में किया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ औपचारिक रूप से हिमालय संरक्षण की शपथ के साथ किया गया। अपने सम्बोधन में श्री जयराज ने कहा कि हिमालय की संरक्षा केवल सरकारों की जिम्मेदारी नहीं अपितु यह देश के हर नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी भी है। समाज का हर व्यक्ति अपनी.अपनी क्षमता के अनुरूप हिमालय संरक्षा में भागीदारी कर सकता है। उन्होंने कहा कि विधि व्यवसाय से जुड़े नागरिक इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। पर्यावरण संरक्षा को लेकर हुए बड़े निर्णय न्यायिक सक्रियता का परिणाम है और उनके पीछे है जुडिशियल माइन्ड। विकास एवं पारिस्थितिक नाजुकता के संतुलन पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियाँ है प्राकृतिक आपदाएं। इसके मुख्य कारणों पर बोलते हुए उन्होंने बुनियादी ढ़ाँचे की खामियाँए अपरिपक्व योजनाएँए नाले.खालों में बेतरतीब बसावटए सिविल सोसाइटी व विशेषज्ञों की राय की उपेक्षाए धार्मिक पर्यटन की अंधी दौड़ और आंकड़ों के प्रस्तुतीकरण की होड़ बताया। अपने वक्तव्य के समापन में उन्होंने कहा कि लोक सेवकों को स्थानीय हितधारकों के लिए अधिक सुलभ होना चाहिए और नीतियों को सतत विकास लक्ष्यों के साथ फिर से जोड़ा जाना चाहिए ताकी ष्विकास को विनाश बनने से रोका जा सके। अंततः विकास व विनाश का भी एक पैमाना हो।
अपने सम्बोधन में उपकुलपति प्रो0 राजेश बहुगुणा ने कहा कि पर्यावरण संरक्षा और हिमालय के तमाम सरोकारों सम्बन्धी कानूनों का धरातल पर इम्पलीमेंटेशन केवल प्रशासन की सक्रियता से नही अपितु समाज के हर वर्ग की सकारात्मक भागीदारी से ही सम्भव है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षा एवं सतत विकास की अवहेलना के भविष्य में गम्भीर परिणाम होंगे।
इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो0 राधेश्याम झाए प्रो0 लक्ष्मी प्रिया विन्जामूरीए प्रो0 वी0 भुवनेश्वरीए अपूर्वा शुक्लाए ईशा शर्मा सहित बड़ी संख्या में छात्र.छात्राएं उपस्थित थे।


