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कहां खो गई देहरादून की ऐतिहासिक 80वीं लाला नेमीदास मेमोरियल जिला फुटबाल लीग, कौन है जिम्मेदार – डॉ विरेन्द्र सिंह रावत

पूर्वजों की सम्पति और पूर्वजो के किए अच्छे काम को कुछ ही संस्था या ज्ञानी लोग जो लगातार समाज के हित लिए के करते है वो एक पहचान और आने वाली नई पीढ़ी को अवगत कराते रहते है की इतिहास बनाएं और लिखें जाते है
आज अगर हम देखे तो सबसे बड़ी इतिहासिक फुटबाल टूर्नामेंट 138वा डुरंड कप जिसको संभाल के रखा है तो भारत देश की तीनों आर्मी ने जो लगातार 138 सालों से होते हुवे आ रही है और उसी कढ़ी मे एक हमारे देहरादून का इतिहासिक सन 1939 का लाला मान सुमरथ दास मेमोरियल पवेलियन फुटबाल ग्राउंड है जिनके रिस्तेदार जो ब्रिटिश काल मे भारत देश गुलाम था इंग्लैंड के हाथों, देहरादून के महाराजा स्वर्गीय लाला नेमी दास के नाम से जिला फुटबाल लीग पवेलियन ग्राउंड मे सन 1945 से प्रारम्भ हुई
वैसे तो 1822 मे ब्रिटिश आर्मी ने देहरादून के चकराता मे फुटबाल खेल की सुरुवात की थी लेकिन देहरादून के घंटाघर शहर के बीचो बीच बसा पवेलियन ग्राउंड पुरे देहरादून के जनमानस की आना बान शान था डुरंड कप, सुब्रतो कप टूर्नामेंट इसी पवेलियन ग्राउंड मे हुवा करते थे कई फुटबाल ओलिंपियन खिलाडी दिए, विदेशो से जर्मनी, फ्रांस, इटली, ब्राजील आदि टीम यहां आकर दोस्ताना मैच खेला करती थी दर्शक हजारों की तादात मे मैच को देखने के लिए आते थे ग्राउंड खचा खच भरा रहता था पेड़ो पर चढ़कर दर्शक मैच देखने कई किलोमीटर तक पैदल चलकर आते थे और देहरादून के इस पवेलियन ग्राउंड मे अनगिनत नेशनल और इंटरनेशनल खिलाडी दिए लेकिन 2012 तक देहरादून जिला फुटबाल लीग बेहतरीन तरीके से चल रही थी उस समय 68 लाला नेमीदास मेमोरियल जिला लीग चली और और अध्यक्ष जोगेन्दर पुंडीर, सचिव देवेंद्र बिष्ट और कोर्डिनेटर विरेन्द्र सिंह रावत के सहयोग से ज़ब उत्तराखंड बना 9 नवंबर 2000 को तब से लेकर 2012 तक शांति पूर्वक चली भीड़ भी खूब आती थी उसके बाद आई अपने अपने वर्चस्व की लड़ाई सीनियर खिलाड़ी, क्लब के सचिव, सीनियर चेयरमैन रेफ्रीयों के बनने की आपसी लड़ाई मे फुटबाल का नाश धीरे धीरे खत्म होता गया जिसमें जिम्मेदारी स्टेट एसोसिएशन और उत्तराखंड सरकार की भी रही और मन मार के फुटबाल चली तो लेकिन 2013 से 2018 तक तो एक ही लीग हुई लेकिन 2019 से दो दो लीग आपसी लड़ाई की भेंट चढ़ गयी और उसके बाद 2019 से अगर सच मे देखे तो जो 7 साल से जो लगातार लीग होनी चाहिए थी जिसको हम 80वी लीग होनी चाहिए थी 7 साल से आपसी लड़ाई की वजह से नहीं हो पा रही है और देहरादून की इतिहासिक लाला नेमी दास मेमोरियल जिला फुटबाल लीग कही गुमनाम हो गयी आने वाले युवा देहरादून लीग को भूल गए की कभी भी भारत की फेमस दूसरी इतिहासिक लीग हुवा करती थी खत्म कियू हुई अध्यक्ष, सचिव, रेफरी चेयरमैन बनने और अहम की लड़ाई ने देहरादून की फुटबाल को खत्म कर दिया साथ ही साथ स्टेट एसोसिएशन और उत्तराखंड सरकार ने भी कोई दिलचस्पी नहीं ली
एक और अजब कारनामा उत्तराखंड सरकार के खेल विभाग ने कर डाला जो पवेलियन ग्राउंड नगर निगम के पास था उसको छीनकर अपने खेल विभाग को दे दिया जबकि ग्राउंड आम जनमानस के लिए था की गरीब खिलाडी आए खेले और नाम कमाए लेकिन आज देखे तो जिनके नाम से ग्राउंड था उनका नाम ही साफ कर दिया गया है स्पोर्ट्स हॉस्टल और जिला खेल कार्यालय खोल दिया गया है और मुख्य द्वारा जिला खेल कार्यालय देहरादून कर दिया गया
जो असली नाम था स्वर्गीय लाला मान सुमरथ दास पवेलियन ग्राउंड 1939 साफ हो गाया कोई भी
प्रतियोगिता कराने के लिए प्रतिदिन का किराया इतना कर दिया है की कोई भी आयोजक नहीं दे सकता, साथ ही साथ स्विमिंग पुल, हॉकी ग्राउंड बना डाला, पार्किंग की जगह समाप्त कर डाली ग्राउंड है नहीं देहरादून मे तो खिलाडी जाए तो जाए कहा नशे की और ही तो जायेगा
डॉ रावत ने 1980 से आज तक इसी ग्राउंड मे खेलकर नेशनल खिलाडी, कोच और रेफरी बने और कई खिलाड़ियों का भविष्य भी बनाया है अंत मे सरकार से रिक्वेस्ट की है कृपा करके राज्य खेल फुटबाल की सुध ले जिला लीग दुबारे से सुरु करे पवेलियन ग्राउंड को ठीक करे
पुराना स्वर्णिम दौर वापस लाए
नहीं तो धीरे धीरे जिला लीग इतिहास के पन्नों मे दबकर मर जाएगी

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