अल्मोड़ा के बागेश्वर जिले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री राम सिंह गढ़िया जी की स्मृति में स्थापित शिलापट को तोड़कर शौचालय में डाल देने की घटना न केवल अत्यंत दुखद है, बल्कि यह देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों का घोर अपमान है। यह कृत्य भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास और उसकी विरासत पर किया गया एक क्रूर प्रहार है।इस अमर्यादित और अपमानजनक कृत्य की कड़ी भर्त्सना करता हूँ और इसे राष्ट्र की आत्मा पर सीधा प्रहार मानता हूँ। यह किसी एक व्यक्ति या परिवार का नहीं, सम्पूर्ण स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परंपरा और उस आत्मबलिदान की परंपरा का अपमान है, जिसकी नींव पर यह देश खड़ा है।
श्री राम सिंह गढ़िया जैसे सेनानी उत्तराखंड ही नहीं, पूरे राष्ट्र की धरोहर हैं। उनके सम्मान में लगाए गए स्मारक को इस तरह तोड़ना और अपवित्र स्थान पर फेंकना ना केवल असंवेदनशीलता है, बल्कि यह सुनियोजित ऐतिहासिक स्मारकों को मिटाने का प्रयास प्रतीत होता है।
डॉ आशा लाल
समन्वयक, अखिल भारतीय शहीद / सेनानी परिवार कल्याण महापरिषद, ने इस पूरे घटनाक्रम की कड़ी निंदा करते हुए इसे राष्ट्रविरोधी मानसिकता का परिचायक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मों से न सिर्फ स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत का अपमान होता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को दिए जाने वाले मूल्यों पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है।
मैं प्रशासन से तत्काल इस प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराने, दोषियों की पहचान कर उनके विरुद्ध सख्त कानूनी कार्यवाही करने, और शिलापट को पुनः यथोचित सम्मान के साथ स्थापित करने की मांग करती हूँ।
डॉ आशा लाल
समन्वयक, अखिल भारतीय शहीद / सेनानी परिवार कल्याण महापरिषद