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यूनिवर्सिटीज जर्नल ऑफ फाइटोकैमिस्ट्री एंड आयुर्वेदिक हाइट्स द्वारा यूकाॅस्ट के सहयोग से संयुक्त कार्यक्रम का किया गया आयोजन

“यूनिवर्सिटीज जर्नल ऑफ फाइटोकैमिस्ट्री एंड आयुर्वेदिक हाइट्स (UJPAH)” द्वारा उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) के सहयोग से 28 जून 2025 को एक संयुक्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. एस. फ़ारूक़ अध्यक्ष, हिमालयन ड्रग कंपनी और मुख्य संपादक UJPAH के द्वारा UJPAH के परिचय से हुई। इसके पश्चात UJPAH के सह-संपादक डॉ. हिम्मत सिंह ने जर्नल का उद्देश्य, उसकी संरचना और इसके गुणवत्ता सुधार के प्रयासों पर विस्तृत जानकारी दी। इस कार्यक्रम के दौरान “यूनिवर्सिटीज जर्नल ऑफ फाइटोकैमिस्ट्री एंड आयुर्वेदिक हाइट्स” का विमोचन भी किया गया, जिसका उद्देश्य विशेष रूप से फाइटोकैमिस्ट्री के क्षेत्र में युवा एवं नवोदित वैज्ञानिकों को अपने वैज्ञानिक अनुसंधानों के प्रकाशन के लिए मंच और प्रोत्साहन प्रदान करना है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय (UAU) के कुलपति डॉ. अरुण कुमार त्रिपाठी ने विश्व स्तर पर आयुर्वेदिक उपचारों और प्रभावी हर्बल दवाओं के विकास की आवश्यकता पर बल दिया।


विशिष्ट अतिथि प्रो. स्वर्णलता सर्राफ, निदेशक, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ ने पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण, पेटेंट अधिकारों की सुरक्षा और आयुर्वेदिक अनुसंधान में सतत् प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि प्रो. शैलेन्द्र सर्राफ, निदेशक, राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (NIPER) ने कहा कि आयुर्वेद को पहचान देना हमारी सांस्कृतिक विरासत और वैज्ञानिक परंपरा के प्रति सम्मान व्यक्त करने जैसा है।
यूकोस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने अपने संबोधन में साक्ष्य-आधारित आयुर्वेदिक प्रथाओं के महत्व पर बल देते हुए शोध नेटवर्क और संस्थागत सहयोग विकसित करने के लिए सभी छात्रों और शोधकर्ताओं का आह्वान किया। उन्होंने इस उभरते क्षेत्र में सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता बताई। कार्यक्रम का समापन UJPAH के संपादक डॉ. आई. पी. सक्सेना द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें सभी विशिष्ट अतिथियों, प्रतिभागियों और सहयोगी संस्थानों के प्रति आभार व्यक्त किया गया।
इस कार्यक्रम में एस आर एच यू विश्वविद्यालय, क्वांटम विश्वविद्यालय एवं उत्तराँचल विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं सहित यूकोस्ट, आंचलिक विज्ञान केंद्र देहरादून के वैज्ञानिक अधिकारियों, शोधकर्ताओं एवं अन्य प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम के पश्च्यात परिषद् कार्यालय में प्रो. शैलेन्द्र सर्राफ और प्रो. स्वर्णलता सर्राफ के साथ परिषद् अधिकारीयों और कर्मचारियों की एक गोष्ठी का आयोजन भी किया गया, जिसमे नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण, शिक्षा और औद्योगिक क्षेत्र के बीच सामंजस्य स्थापित करने, बायोमेडिकल डिवाइस बनाने और आयुर्वेद तथा पारम्परिक ज्ञान पद्धतियों के महत्त्व पर चर्चा की गयी।

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