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सहानुभूति और समर्पण: एक समृद्ध समाज की नींव – दूबे

 

जीवन एक ऐसी यात्रा है, जिसमें हर कदम पर हमें मानवीय मूल्यों और सामाजिक उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना होता है। इन मूल्यों में सबसे महत्वपूर्ण है एक-दूसरे के प्रति सहानुभूति। बीते कुछ वर्षों में हमने अनेक विषम परिस्थितियों का सामना किया है—कभी प्राकृतिक आपदाओं के रूप में, तो कभी सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों के रूप में। इन परिस्थितियों ने हमें सिखाया कि सहानुभूति और सहयोग ही वह सेतु है, जो हमें एक-दूसरे के करीब लाता है। समाजसेवी पवन दूबे, जो सामाजिक कार्यों में अपनी सक्रियता रखते हैं, कहते हैं कि मानव जीवन का आधार सहानुभूति और नैतिकता है। उनके अनुसार, यदि हम सही और गलत के बीच अंतर करने की समझ विकसित कर लें, तो एक समृद्ध और सशक्त समाज का निर्माण संभव है।

पवन दूबे का मानना है कि जीवन में कई सबक हमें प्रकृति और जानवरों से सीखने को मिलते हैं। जिस तरह एक चींटी अपने समूह के लिए निस्वार्थ भाव से कार्य करती है, उसी तरह हमें भी अपने स्वार्थ को त्यागकर समाज की भलाई के लिए सोचना चाहिए। वे कहते हैं, “कई बार हमें अपने निजी हितों से ऊपर उठकर दूसरों की खुशी और जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए। यदि आपकी उपस्थिति किसी के लिए सुखद नहीं है, तो सम्मान के साथ उस स्थान से हट जाना ही श्रेष्ठ है। यह न केवल आपकी गरिमा को बनाए रखता है, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित करता है।”

पवन दूबे समाजसेवा को एक युद्ध के समान मानते हैं, जहां समाज के लिए कुछ करने की इच्छा रखने वाले को समाज के भीतर ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। वे कहते हैं, “समाज के लिए कार्य करना आसान नहीं है। समाज आपको प्रेरित भी करता है और कई बार आपके मार्ग में बाधाएं भी खड़ी करता है। लेकिन यदि आपमें सच्चा समर्पण और दृढ़ संकल्प है, तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती।” उनके अनुसार, संघर्ष और समर्पण का आधार निस्वार्थ भाव होना चाहिए। जब हम बिना किसी स्वार्थ के समाज की सेवा करते हैं, तभी सच्चे अर्थों में बदलाव संभव है।

पवन दूबे का यह भी मानना है कि समाज को बेहतर बनाने के लिए हमें छोटे-छोटे कदमों से शुरुआत करनी चाहिए। एक मुस्कान, एक मदद का हाथ, या किसी की बात को ध्यान से सुनना—ये छोटी-छोटी चीजें समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं। वे कहते हैं, “हर बड़ा परिवर्तन छोटे प्रयासों से शुरू होता है। यदि हम अपने आसपास के लोगों के प्रति संवेदनशील हों, तो समाज अपने आप सशक्त और समृद्ध बन जाएगा।”

अंत में, पवन दूबे का संदेश स्पष्ट है—जीवन में सहानुभूति, समर्पण और सही निर्णय लेने की क्षमता ही हमें एक बेहतर इंसान और समाज का हिस्सा बनाती है। उनके विचार हमें प्रेरित करते हैं कि हम न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों के लिए भी जिएं। समाजसेवा का यह मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन यही वह रास्ता है जो हमें सच्ची मानवता की ओर ले जाता है।

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