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Wednesday, October 15, 2025
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चारधाम यात्रा: आरंभ में ही अव्यवस्थाओं का बोलबाला, सरकार पर उठे सवाल-गरिमा दसौनी

 

देहरादून : उत्तराखंड की पहचान और अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली चार धाम यात्रा के शुरुआती दिनों में ही अव्यवस्थाओं का आलम देखने को मिल रहा है। स्थानीय जनता, श्रद्धालु और पंडा पुरोहित समाज सरकार के इंतजामों से खासे नाखुश नजर आ रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब पिछले वर्ष यात्रा के दौरान भारी अव्यवस्थाएं सामने आई थीं और राज्य सरकार ने मृतकों, बीमारों और संपत्ति के नुकसान का कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया था। उम्मीद थी कि पिछली गलतियों से सबक लेकर इस बार बेहतर प्रबंधन होगा, लेकिन तीन धामों के कपाट खुलने और चौथे धाम बद्रीनाथ के कपाट आज खुलने के बाद स्थिति निराशाजनक दिख रही है।
केदारनाथ धाम से लगातार ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, जो सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। इन वीडियो में यात्रा प्रबंधन को लेकर लोगों की नाराजगी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि बीमार घोड़ा-खच्चरों का समय पर इलाज न हो पाने के कारण धामों तक रसद और खाद्यान्न की आपूर्ति बाधित हो रही है। केदारनाथ में भारी बारिश की चेतावनी के बीच खाद्यान्न खराब होने का खतरा भी मंडरा रहा है।
स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि मंदिर की सजावट के लिए गुजरात से लोगों को बुलाया गया है। वहीं, केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर परिसर में बड़े मंच, माइक और कैमरों के आयोजन पर भी सवाल उठ रहे हैं। इतना ही नहीं, आनन-फानन में किए गए बद्री केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष और उपाध्यक्षों की नियुक्ति पर भी उंगलियां उठ रही हैं। सवाल यह है कि जब यात्रा की तिथि पहले से निर्धारित थी, तो इन महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति में इतना विलंब क्यों हुआ? नियुक्त किए गए लोगों की काबिलियत और पृष्ठभूमि पर भी प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।
इस गंभीर स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि यात्रा का अभी आरंभ है और यह लंबी चलेगी। इसलिए, समय रहते प्रबंधों को दुरुस्त किया जाना चाहिए, ताकि एक सुरक्षित और सुविधाजनक यात्रा का संदेश देश-विदेश में जा सके। दसौनी ने जोर देकर कहा कि चार धाम यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और लाखों लोगों की आजीविका का भी आधार है। सरकार को इसे गंभीरता से लेना चाहिए और पिछली गलतियों को दोहराने से बचना चाहिए।

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