चारधाम यात्रा के पहले चार महीनों पर कल सुबह हमने अपनी एक छोटी सी डाटा बेस्ड रिपोर्ट साझा की थी। रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य यह जानना, समझना था कि इस वर्ष लगातार आपदाओं ने यात्रा को किस तरह प्रभावित किया है। सरकारी आंकड़ों के आधार पर ही बनी रिपोर्ट से उभरी हुई तस्वीर बेहद चिंताजनक निकली। इन चार महीनों में 55 दिन ऐसे रहे जब चारों धामों में एक भी श्रद्धालु नहीं पहुंच पाए यानी ये “ज़ीरो पिलग्रिम” दिन थे। इस के अलावा 89 दिन ऐसे रहे जब केवल 1 से 1,000 यात्री ही धामों तक पहुंचे। यह स्थिति साफ बताती है कि हमारी यात्रा व्यवस्था कितनी असुरक्षित है और आपदाओं का असर सीधा-सीधा हमारी पर्वतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है।
हमारी रिपोर्ट में यह स्पष्ट कहा गया कि सरकार को यात्रा को डिज़ास्टर और क्लाइमेट प्रूफ बनाने की दिशा में गंभीर कदम उठाने चाहिएं। साथ ही यात्रा पर निर्भर व्यवसायों और समस्त सेवा प्रदाताओं के लिए विशेष आर्थिक या राहत पैकेज भी तुरंत घोषित किया जाना चाहिए ताकि आजीविका का संकट और गहरा न हो।
हम अमर उजाला समूह का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने इस रिपोर्ट को राष्ट्रीय स्तर पर आज दिल्ली संस्करण से प्रकाशित किया है। हम तो सिर्फ यही उम्मीद कर सकते हैं कि यह जानकारी उत्तराखंड सरकार तक पहुंचेगी और वे चारधाम यात्रा की समस्याओं के विभिन्न पहलुओं पर समस्त हितधारकों से संवाद स्थापित कर तुरंत ठोस नीति बनाकर उसे राज्य हित में लागू करेंगे।
सादर, आभार।
अनूप नौटियाल
देहरादून, उत्तराखंड
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