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हिमालय केवल भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, आस्था और जीवनदर्शन का है प्रतीक – सीएम धामी 

सीएम धामी ने लेखक गांव में “स्पर्श हिमालय महोत्सव” के समापन समारोह में किया प्रतिभाग

लेखक गांव स्थानीय प्रतिभाओं को मंच देने के साथ विश्व के साहित्यिक मानचित्र पर राज्य को एक नई पहचान दिल रहा- सीएम धामी


देहरादून। देहरादून के थानों स्थित लेखक गांव में आयोजित स्पर्श हिमालय महोत्सव का तीसरा और अंतिम दिन आध्यात्म, योग, नाड़ी विज्ञान और पर्यटन की चर्चाओं से सराबोर रहा। बुधवार को आयोजित इस समापन सत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। महोत्सव में बड़ी संख्या में योगाचार्य, विद्वान, पर्यटक, और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा कि हिमालय केवल भौगोलिक इकाई नहीं, बल्कि यह भारत की संस्कृति, आस्था और जीवनदर्शन का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को सशक्त बनाते हैं और उत्तराखंड को वैश्विक मंच पर ‘योग भूमि’ के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मुख्यमंत्री ने राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती उत्सव पर सभी आंदोलनकारियों को नमन करते हुए कहा कि लेखक गांव की परिकल्पना उन विचारों का प्रतीक है जो समाज को दिशा देने देते हैं और जो आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ते हुए भविष्य का निर्माण करना सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि लेखक गांव में आयोजित यह महोत्सव नए सृजन यात्रा का आरंभ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार साहित्य संस्कृति के संरक्षण एवं प्रोत्साहन के लिए निरंतर कार्य कर रही है। राज्य में उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान के माध्यम से उत्कृष्ट साहित्यकारों को सम्मानित एवं विभिन्न भाषाओं में ग्रंथ प्रकाशन के लिए वित्तीय सहायता योजना के तहत साहित्यकारों को अनुदान भी प्रदान किया जा रहा है। राज्य सरकार प्रदेश के उत्कृष्ट साहित्यकारों को साहित्य भूषण और लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित करने का कार्य कर रही है, जिसमें 5 लाख तक की धनराशि देने की घोषणा की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार युवा पीढ़ी को साहित्य के प्रति आकर्षित करने के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं और कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार विकल्प सहित संकल्प के साथ निरंतर कार्य कर रही है। सभी साहित्यकारों , कलाकारों, विद्वानों और संस्कृति के साधक गणों के सहयोग से हम अपने इस संकल्प को सिद्धी तक पहुंचने में आवश्यक सफल होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राज्य जयंती वर्ष पर उत्तराखंड विधानसभा द्वारा आयोजित विशेष सत्र को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आगामी 9 नवंबर राज्य स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी उत्तराखंड आ रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड जैसे सांस्कृतिक रूप से समृद्ध प्रदेश में लेखक गांव स्थानीय प्रतिभाओं को मंच देने के साथ विश्व के साहित्यिक मानचित्र पर राज्य को एक नहीं पहचान दिला रहा है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में लेखक गांव भारत की प्राचीन परंपराओं को आधुनिक दृष्टिकोण से जोड़ने का कार्य करेगी।

इस अवसर पर आयोजित सत्रों में योग और नाड़ी विज्ञान पर विशेष मंथन हुआ। नाड़ी रोग विशेषज्ञ लक्ष्मी नारायण जोशी ने अपने वक्तव्य में कहा कि मानव शरीर में अधिकांश रोग मस्तिष्क से उत्पन्न होते हैं और उनके समाधान का स्रोत भी वहीं निहित है। उन्होंने कहा कि मन और शरीर के बीच गहरे संबंध को समझकर व्यक्ति रोगमुक्त जीवन पा सकता है। उन्होंने बताया कि आज के युग में अनियमित आहार-विहार, अनिद्रा और तनाव के कारण रोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन यदि लोग संयमित जीवनचर्या और संतुलित दिनचर्या अपनाएं तो अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है।

उन्होंने कहा कि रोगों की जड़ हमारे अवचेतन मन में होती है, इसलिए मन को शुद्ध और सकारात्मक बनाए रखना आवश्यक है। अन्य वक्ताओं ने भी योग, ध्यान और मानसिक संतुलन के महत्व पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण संरक्षण, हिमालय क्षेत्र की जैव विविधता और सतत पर्यटन पर भी विचार-विमर्श हुआ। वक्ताओं ने कहा कि हिमालय केवल प्राकृतिक संपदा का स्रोत नहीं, बल्कि यह हमारे आध्यात्मिक जीवन का आधार भी है।
महोत्सव के अंत में मुख्यमंत्री धामी ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि “स्पर्श हिमालय महोत्सव” न केवल हिमालयी संस्कृति को जीवंत कर रहा है, बल्कि यह योग, विज्ञान और पर्यावरण के संगम का सुंदर उदाहरण भी प्रस्तुत कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले वर्षों में यह आयोजन और अधिक व्यापक रूप से आयोजित होगा तथा इसमें देश-विदेश से विद्वानों की भागीदारी बढ़ेगी। कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना और योग साधना सत्र के साथ हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने हिमालय की ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक , पूर्व रक्षा सचिव डॉक्टर योगेंद्र नारायण, लेफ्टिनेंट जनरल श्री अनिल कुमार भट्ट से नि, पद्म श्री डॉक्टर हर मोहिंदर सिंह बेदी , श्रीमती विदुषी निशंक एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।

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