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Monday, November 10, 2025
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देहरादून में 22 हजार उपनलकर्मी नियतिकरण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

 

आज देहरादून में नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदेश भर से सैकड़ों उपनलकर्मियों कर्मचारियों ने परेड ग्राउंड के बाहर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया। विभिन्न विभागों मे कई वर्षों से तैनात करीब 22 हजार कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर डटे हैं।

उपनल कर्मचारी महासंघ रुद्रप्रयाग के जिला अध्यक्ष अनिल गुसाई ने कहा कि राज्य के सभी विभागों को मिलाकर करीब 22 हजार उपनल कर्मियों ने आज से कार्य बहिष्कार का फैसला लिया। उन्होंने इसे सरकार और ब्यूरोक्रेट्स की नाकामी बताते हुए कहा कि वर्ष 2018 में नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चरणबद्ध तरीके से सभी उपनल कर्मियों को नियमित किए जाने को कहा था। उसके बावजूद सरकार ने इस आदेश पर अमल करने के बजाय सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की अपील खारिज कर दी।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीन बार बड़े मंचों से कह चुके हैं कि उपनल कर्मियों के लिए ठोस नियमावली बनाई जा रही है और उन्हें नियमित सेवा में शामिल किए जाने के लिए योजना पर कार्य किया जा रहा है, लेकिन 8 महीने बीतने के बावजूद अभी तक कर्मियों के लिए कोई भी शासनादेश लागू नहीं किया गया है।

वहीं देहरादून के सबसे बड़े सरकारी दून अस्पताल में उपनल कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से बिलिंग काउंटर से लेकर पर्चे बनाने के लिए मरीजों की लंबी कतारें लगी।
दून अस्पताल से भी बड़ी संख्या में उपनल से तैनात वॉर्ड बॉय, नर्स ,फार्मासिस्ट, डाटा एंट्री ऑपरेटर और सफाई कर्मी हड़ताल पर रहे, जिससे मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. करीब डेढ़ सौ से अधिक कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से अस्पताल की व्यवस्थाएं भी चरमराई है।

हालांकि दून अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर आरएस बिष्ट ने इससे इनकार करते हुए कहा कि अस्पताल में कोई भी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं उपनल कर्मियों के हड़ताल पर जाने से बांधित नहीं हुई हैं । आज अस्पताल में नजर आ रही भीड़ सप्ताह के पहले सोमवार की है. हर सोमवार को यहां तीन हजार से अधिक मरीज इलाज कराने आते हैं। उन्होंने बताया कि उपनल कर्मियों के हड़ताल पर जाने से पहले ही वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अन्य कर्मचारियों की ड्यूटियां लगा दी गई हैं। उन्होंने कहा कि उपनल कर्मियों के हड़ताल पर जाने का कोई असर अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर नहीं पड़ा है।

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