बच्चों के बचपन को सुरक्षित रखने में अभिभावकों व हितधारकों की है अहम भूमिका: डॉ गीता खन्ना
समस्त विद्यालयों में बच्चों के अधिकारों की सुदृढ़ सुरक्षा हेतु *नोडल व्यक्ति की नियुक्ति* किए जाने तथा विद्यालयों में *वन्दे मातरम् के अनिवार्य गायन* के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने का किया अनुरोध
उत्तराखण्ड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा डॉ गीता खन्ना द्वारा अवगत कराया गया कि आज बाल दिवस के उपलक्ष्य में माननीय आयोग ने प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को उत्तराखण्ड राज्य गठन के 25 वर्ष पूर्ण होने तथा किशोर न्याय अधिनियम (JJ Act) के एक दशक पूरे होने व वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक *प्रस्ताव पत्र * प्रेषित किया है। इस पत्र में राज्य के समस्त विद्यालयों में बच्चों के अधिकारों की सुदृढ़ सुरक्षा हेतु *नोडल व्यक्ति की नियुक्ति* किए जाने तथा विद्यालयों में *वन्दे मातरम् के अनिवार्य गायन* के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है।
इसी क्रम में आज दिनांक **14 नवम्बर** को **राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)** द्वारा **टिहरी गढ़वाल** में *जिला स्तरीय एक दिवसीय कार्यक्रम* का आयोजन किया गया, डॉ गीता खन्ना ने ऑनलाइन प्रतिभाग किया व अपने वक्तव्य में बच्चों के बचपन को सुरक्षित रखने में अभिभावकों व हितधारकों की भूमिका पर जोर दिया , क्यूकि बच्चों के जीवन में सहजता उनको नशे से ,एकांकीपन से , डिप्रेशन से दूर करने व उनके बौद्धिक विकास के लिए अति आवश्यक है , उन्होंने कहा कि बच्चो को मिनी एडल्ट नहीं , बच्चों को उनका बचपन जीने दें ।बच्चों के अधिकारों के विषय पर चर्चा की । कार्यशाला में संरक्षण तंत्र एवं संवेदनशीलता बढ़ाने से संबंधित विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई।
इसके अतिरिक्त दिनांक **15 नवम्बर** को बाल अधिकारों के प्रति *सम्वेदनिकरण एवं जागरूकता कार्यशाला* का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें विभिन्न विभागों—शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, महिला व बाल विकास, श्रम विभाग इत्यादि—द्वारा अपने-अपने विषयों पर वक्तव्य प्रस्तुत किए जाएंगे।
•दिनांक **20 नवम्बर** को आयोग द्वारा एक *समन्वय बैठक आयोजित की जा रही है, जिसमें महिला एवं बाल विकास विभाग, बाल कल्याण समिति, प्रोबेशन विभाग, JJB सहित समस्त संबंधित हितधारक प्रतिभाग करेंगे। इस बैठक में सभी विभागों से पूर्व में आयोजित बैठकों की *आख्याएं (Action Taken Reports)* तथा प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया है।
आयोग का संकल्प है कि राज्य के प्रत्येक बालक-बालिका के अधिकारों, सुरक्षा, संरक्षण और समग्र विकास हेतु सभी विभागों के मध्य प्रभावी समन्वय स्थापित किया जाए, ताकि उत्तराखण्ड को बाल-हितैषी राज्य के रूप में सशक्त बनाया जा सके।
**(अध्यक्ष)**
**उत्तराखण्ड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग**
