नागपुर। संसद की विभागीय स्थायी समिति (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन) के तीन दिवसीय अध्ययन प्रवास के अंतर्गत सांसद हरिद्वार एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नागपुर एवं ताडोबा–आंधारी टाइगर रिज़र्व में आयोजित महत्वपूर्ण बैठकों एवं क्षेत्रीय निरीक्षणों में सहभाग किया।
इस प्रवास का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा, वैज्ञानिक संस्थानों की भूमिका तथा खनन एवं औद्योगिक गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभावों की गहन समीक्षा करना रहा।
इस दौरान समिति ने सीएसआईआर–नीरी नागपुर का दौरा किया, जहां पर्यावरणीय प्रदूषण नियंत्रण, जल–वायु गुणवत्ता, अपशिष्ट प्रबंधन एवं औद्योगिक उत्सर्जन पर हो रहे शोध कार्यों की जानकारी ली गई। श्री रावत ने कहा कि नीति निर्माण को वैज्ञानिक आधार देने में ऐसे संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। सतत विकास के लिए विज्ञान आधारित समाधान आवश्यक हैं।
ताडोबा–आंधारी टाइगर रिज़र्व में समिति ने वन क्षेत्र का भ्रमण एवं सफारी के माध्यम से संरक्षण व्यवस्थाओं का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इसके पश्चात MoEFCC, NTCA, वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो तथा महाराष्ट्र सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक में बाघ संरक्षण की वर्तमान स्थिति, मानव–वन्यजीव संघर्ष तथा अवैध शिकार जैसी चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा हुई।
श्री रावत ने कहा कि बाघ केवल वन्यजीव नहीं, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन का प्रतीक हैं। उनके संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी और सशक्त सुरक्षा तंत्र अत्यंत आवश्यक है।
अंतिम दिवस केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, सीपीसीबी, महाराष्ट्र सरकार, वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (WCL), माइनिंग और स्टील मंत्रालय तथा MOIL के साथ खनन एवं औद्योगिक गतिविधियों से उत्पन्न पर्यावरणीय प्रभावों पर विस्तृत चर्चा हुई। श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्पष्ट किया कि देश की औद्योगिक प्रगति के साथ पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखना अनिवार्य है। खनन क्षेत्रों में प्रदूषण नियंत्रण, पुनर्वनीकरण और स्थानीय जनजीवन की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।
उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस अध्ययन प्रवास से प्राप्त निष्कर्ष नीति निर्माण में उपयोगी सिद्ध होंगे और देश में पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा एवं सतत औद्योगिक विकास को नई दिशा मिलेगी।
