पुरानी टिहरी के स्थापना दिवस 28 दिसम्बर के अवसर पर बल्लूपुर, देहरादून में निर्मित टिहरी की ऐतिहासिक अनुकृति पर दीप प्रज्वलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान दीप प्रज्वलित कर पुरानी टिहरी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उसके गौरवशाली इतिहास, संस्कृति एवं परंपराओं को स्मरण किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में नागरिकों की सहभागिता रही, जिन्होंने भावुक होकर अपने स्मृतियों में बसे टिहरी शहर को याद किया।
कार्यक्रम स्थल पर सुबोध बहुगुणा जी द्वारा निर्मित “ *पुरानी टिहरी के लैंडस्केप* ” में हुबहु बनाए गए घंटाघर, राजा का दरबार, आज़ाद मैदान, बस अड्डा, टिहरी बाज़ार, गंगा जी एवं भगीरथी नदी के प्रवाह मार्ग की प्रतिकृतियों पर दीप प्रज्वलन किया गया। यह दृश्य डूब चुकी पुरानी टिहरी की जीवंत स्मृति के रूप में उपस्थित लोगों के लिए अत्यंत भावनात्मक क्षण बन गया।
कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर ने कहा कि पुरानी टिहरी गढ़वाल रियासत की ऐतिहासिक राजधानी रही है और यह गढ़वाल क्षेत्र की संस्कृति, सभ्यता एवं परंपराओं का प्रमुख केंद्र रही है। राजशाही काल से ही टिहरी ने गढ़वाल की सांस्कृतिक पहचान को दिशा दी। भले ही आज पुरानी टिहरी झील के जल में समा चुकी हो, लेकिन उसका इतिहास, गौरव और टिहरीवासियों का बलिदान आज भी हर उत्तराखंडी की स्मृतियों में जीवित है। उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए अपनी जन्मभूमि का त्याग करने वाले टिहरीवासियों का योगदान अतुलनीय है। आने वाली पीढ़ियों तक टिहरी की संस्कृति, इतिहास और पहचान सुरक्षित रहे—इसी संकल्प के साथ टिहरी स्थापना दिवस मनाया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव थापर, सुबोध बहुगुणा, भजनलाल सेमवाल, विनोद बहुगुणा, शिव प्रसाद, महेश, पवन चंडोक तथा अन्य गणमान्य नागरिकों ने भाग लिया।
