
देहरादून 10 नवंबर।राज्य की राजधानी देहरादून सहित मसूरी, रायपुर, हरिद्वार और टिहरी तक आरक्षित वनभूमियों पर अतिक्रमण का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है। वन और राजस्व विभाग के अधिकारियों–कर्मचारियों की मिलीभगत से लाखों वर्गमीटर वनभूमि पर अवैध कब्जे कर बहुमंजिला इमारतें, कॉलोनियां और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खड़े कर दिए गए हैं। शिकायतों की फाइलें शासन–प्रशासन के दफ्तरों में धूल फांक रही हैं, जबकि अतिक्रमणकारी खुलेआम निर्माण कार्य जारी रखे हुए हैं।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी के प्रदेश वन एवं पर्यावरण प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश ईष्टवाल ने प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि मंसूरी वन प्रभाग की रायपुर रेंज के गुनियाल गांव में सैन्य धाम की आड़ में आरक्षित वनभूमि का अस्तित्व खतरे में है।
ईष्टवाल के अनुसार अधिकारियों की मिलीभगत से यहां बड़े पैमाने पर कब्जे किए गए हैं। इसी तरह अधोईवाला क्षेत्र में करीब 43 एकड़ आरक्षित भूमि को राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी कर निजी नामों पर दर्ज कर प्लॉटिंग कर दी गई। बताया जा रहा है कि इस जमीन को छोटे-छोटे प्लॉटों में बांटकर बेचा जा रहा है।
देहरादून–मसूरी मार्ग स्थित बगराल गांव में आईएमएस यूनिसन कॉलेज के सामने भी वनभूमि पर अपार्टमेंट खड़ा कर दिया गया। यहां तक कि निर्माण के लिए पक्की पुलिया बनाकर रास्ता तक खोल दिया गया। शिकायतों के बावजूद विभागीय अधिकारी जांच तक नहीं पहुंचे।
हरिद्वार जिले में राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत गुजर बस्ती बैंडी खाता और गुजर बस्ती पथरी में अपात्र लोगों को पात्र दिखाकर वन भूमि का आवंटन कर दिया गया। दूधिया वन ब्लॉक में भी बड़े-बड़े आश्रमों और भवनों का निर्माण हो चुका है।
उच्च न्यायालय के आदेशों और सर्वेक्षण रिपोर्ट के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई।
देहरादून वन प्रभाग की दूधली रेंज में राजपुताना वेडिंग प्वाइंट द्वारा 0.39 हेक्टेयर आरक्षित वनभूमि पर अतिक्रमण की पुष्टि वन विभाग स्वयं कर चुका है। वर्ष 2020 में हुई जांच में अवैध कब्जा पाया गया, लेकिन पांच साल बाद भी कार्रवाई नहीं हुई।मसूरी वन प्रभाग की रिपोर्ट के अनुसार, कुल 12,321 सीमांकन मुनारों में से 7,375 मौके से गायब हैं।
विभाग से सूचना मांगे जाने पर अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। इससे साफ है कि सीमाओं के निशान मिटाकर भूमि हड़पने की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है।मुनिकी रेती क्षेत्र में आरक्षित वनभूमि पर विदेशी मदिरा की दुकान खोले जाने से गंगा संरक्षण कानून का भी उल्लंघन हुआ है। यह क्षेत्र धारा-20 के अंतर्गत अधिसूचित आरक्षित वन है, जहां किसी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि प्रतिबंधित है।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष सुलोचना ईष्टवाल ने बताया कि उन्होने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (वन), प्रमुख वन संरक्षक और जिलाधिकारी देहरादून सहित तमाम उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर जांच की मांग की है।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी का आरोप है कि वन और राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से अतिक्रमणकारी निडर होकर नए निर्माण कर रहे हैं।
राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने इसको लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है।
