निनाद की पांचवी शाम लोक की रानी मालिनी अवस्थी का चला जादू
देर रात तक पद्मश्री मालिनी अवस्थी के गीतों पर झूमते रहे लोग
संतूर और तबले की संगत का भी लिया लुत्फ
देहरादून। संस्कृति विभाग के तत्वाधान में आयोजित निनाद महोत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां लोगों को खूब पसंद आ रही हैं। निनाद की पांचवी शाम प्रसिद्ध गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी के नाम रही। उन्होंने कई लोकगीतों की बेहतरीन प्रस्तुति देकर दर्शकों का दिल जीत लिया। अन्य कलाकारों की प्रस्तुतियों का भी दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया।
नींबूवाला स्थित हिमालय सांस्कृतिक केंद्र में महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल, विधायक कैंट सविता कपूर, सचिव संस्कृति विभाग युगल किशोर पंत, प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित राहुल शर्मा और तबला वादक ओजस आद्या ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर निनाद की पांचवी सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ किया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत गोर्खाली सुधार सभा के कलाकारों की प्रस्तुतियों के साथ हुई। कलाकारों ने लोकनृत्य के माध्यम से गोरखा समाज की विविध संस्कृतियों का परिचय दिया। अपर सचिव संस्कृति प्रदीप जोशी व उप सचिव विवेक जैन ने इन कलाकारों को सम्मानित किया।
इसके बाद संतूर वादक प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित राहुल शर्मा मैं अपनी शानदार प्रस्तुति दी। उनके साथ ओजस आद्या ने तबले पर संगत दी। उन्होंने कश्मीर वाइव्स, मिश्रित पहाड़ी राग, पहाड़ की लोक धुन के बाद तीन ताल की बंदिश के साथ अपनी प्रस्तुति समाप्त की।
पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने माई विंध्याचल की महिमा अपार बा, ऊंचा दरबार बा के साथ शुरुआत की। उसके बाद उन्होंने राम जी के भइले जनमवा, तुम भूल गए हमको, हम भूले नहीं तुमको, बदरिया झिमकट आवे मोरे राजा, चांदनी छिप-छिप जाईहो अटरिया, सेजिया पे लोटे काला नाग, कचौड़ी गली सून कइला बलमू और रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे जैसे सुपरहिट सुनाकर दर्शकों को खूब झुमाया।
उत्तराखंड से रहा मेरा गहरा नाता: मालिनी अवस्थी
पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने बताया कि उत्तराखंड से उनका पुराना नाता है। उनकी बड़ी बहन का परिवार देहरादून, एफआरआई में रहता था, इसलिए उन्होंने देहरादून में अपना बचपन का बहुत वक्त गुजारा। शादी के बाद उनके पति रानीखेत में एसडीएम रहे। इस दौरान वह भी अपने पति के साथ काफी समय तक रानीखेत में रही। उन्होंने उस दौर की अपनी यादों को दर्शकों के साथ साझा किया। उन्होंने बताया कि जब उनके पति का तबादला हुआ, तब उन्हें भेंट स्वरूप पिछौड़ा दिया गया था, जिसे आज भी उन्होंने संभालकर रखा है। उन्होंने बताया कि उस समय उन्होंने रानीखेत में जमीन का टुकड़ा खरीदा था, जिस पर उन्होंने अब मकान बनाया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के साथ-साथ उत्तराखंड भी मेरा घर है।
अंत में उन्होंने उत्तराखंडी गीत सर्ग तारा जुन्याली राता, को सुणोलू तेरी मेरी बात की पंक्तियां भी गाई।
