वैद्य शिखा प्रकाश
आयुर्वेद पिफजिशियन
पैंनक्रिएटाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो साइलेंट कीलर के रूप में पनपता है और बाद में कैंसर का रूप भी ले लेता है। पैंनक्रिएटाइटिस का मॉडन साइंस में काई सपफल उपचार नहीं है, लेकिन आयुर्वेद में इसका इलाज संभव है। उत्तराखंड के रूद्रपुर के पड़ाव सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की आयुर्वेद पिफजिशियन वैद्य शिखा प्रकार उत्तराखंड ही नहीं बल्कि समूचे भारत में पैंनक्रिएटाइटिस से पीड़ित कई मरीजों का सपफल उपचार कर चुकी है।
पैंनक्रिएटाइटिस बीमारी के बारे में बताइए?
पैंनक्रिएटाइटिस यानि पैंक्रियास या पैंक्रियाज हमारे शरीर का सबसे खास अंग है, यह एक लंबी, चपटी ग्रंथि है जो पेट के ऊपरी हिस्से में पेट के पीछे टिकी हुई है। अग्न्याशय एंजाइम पैदा करता है जो पाचन में मदद करता है और हार्माेन जो आपके शरीर को चीनी ;ग्लूकोजद्ध को संसाधित करने के तरीके को विनियमित करने में मदद करता है। पैंक्रियास में आई सूजन के कारण व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। पैंक्रियाज में सूजन का आना कापफी गंभीर स्थिति है, जिसकी वजह से व्यक्ति को कई गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ता है। पैंनक्रिएटाइटिसएक ऐसी बीमारी है जिसका मॉडन साइंस में कोई इलाज नहीं है। लेकिन ऑयुर्वेद में इसका बेहतर इलाज मौजूद है।
पैंनक्रिएटाइटिस कितने प्रकार के होते हैं?
अग्नाशयशोथ आमतौर पर तीव्र या पुराना होता है। नेक्रोटाइज़िंग अग्नाशयशोथ तीव्र अग्नाशयशोथ के चरम मामलों के परिणामस्वरूप हो सकता है। अग्नाशयशोथ के प्रत्येक मामले के लिए उपचार लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। एक्यूट अग्नाशयशोथ की शुरुआत अक्सर बहुत अचानक होती है। सूजन आमतौर पर उपचार शुरू होने के कई दिनों के भीतर दूर हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में अस्पताल में रहने की आवश्यकता हो सकती है। बच्चों की तुलना में वयस्कों में एक्यूट अग्नाशयशोथ बहुत अधिक आम है। पित्ताशय की पथरी वयस्कों में एक्यूट अग्नाशयशोथ का प्राथमिक कारण है। यदि आप धूम्रपान करते हैं या शराब पीते हैं तो यह स्थिति क्रोनिक अग्नाशयशोथ में भी विकसित हो सकती है। क्रोनिक अग्नाशयशोथ अग्न्याशय की सूजन है जो लगातार बार-बार होती है या लंबे समय तक रहती है। क्रोनिक अग्नाशयशोथ वाले लोगों के अग्न्याशय और अन्य जटिलताओं को स्थायी नुकसान हो सकता है। इस निरंतर सूजन से निशान ऊतक विकसित होता है। अग्नाशयशोथ इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है। इंसुलिन एक हार्माेन है जो पैंक्रियास आपके रक्त में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए जारी करता है। एक्यूट अग्नाशयशोथ के गंभीर मामले नेक्रोटाइज़िंग अग्नाशयशोथ में विकसित हो सकते हैं, जो रोग के कारण कोशिकाओं की मृत्यु को संदर्भित करता है। यह तीव्र अग्नाशयशोथ के लगभग 10 प्रतिशत मामलों में होता है, आमतौर पर जब अग्नाशयशोथ का इलाज नहीं किया जाता है। अग्नाशयशोथ से होने वाली सूजन के कारण पाचक एंजाइम अग्न्याशय में रिसने लगते हैं। इसके परिणामस्वरूप ऊतक की क्षति और मृत्यु हो सकती है, जिससे नेक्रोटाइज़िंग अग्नाशयशोथ हो सकता है। यदि आपको नेक्रोटाइज़िंग अग्नाशयशोथ है, तो आपका डॉक्टर यह सुनिश्चित करने के लिए मृत ऊतक का एक नमूना ले सकता है कि यह संक्रमित नहीं हुआ है। यदि आपको कोई संक्रमण है, तो आपको संभवतः एंटीबायोटिक्स लेने की आवश्यकता होगी। आपको मृत ऊतक को हटाने की आवश्यकता हो सकती है। मृत ऊतक के संक्रमण से नेक्रोटाइज़िंग अग्नाशयशोथ से मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए जितनी जल्दी हो सके उपचार की तलाश करना बहुत महत्वपूर्ण है।
पैंक्रियाटाइटिस के क्या लक्षण होते है।?
अचानक पेट के बीच एवं ऊपरी भाग में असहनीय तेज दर्द के साथ उल्टियां या मितली आने के लक्षणों में सामान्य चिकित्सा से लाभ ना होने पर रोगी को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। तब खून की जांच तथा अल्ट्रासाउंड/ सी0टी0 स्कैन या एम0आर0सी0पी0 की सहायता से विशेषज्ञ एक्यूट अथवा क्रॉनिक पैंनक्रिएटाइटिस जैसी भयावह, त्रासदायक तथा जानलेवा बीमारी का निदान कर पाते हैं। पैंनक्रिएटाइटिस, पैंनक्रियाज ;अग्नाशयद्ध में सूजन की बीमारी है, जोकि गंभीर रूप धारण कर रोगी एवं उसके परिवार जनों के स्वास्थ्य एवं आर्थिकी के साथ मानस को भी बुरी तरह प्रभावित करता है। आध्ुुनिक चिकित्सा शास्त्रा में इस रोग के कारणों में शराब एवं आनुवंशिकी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। लेकिन भारत में अधिकतर क्रॉनिक ट्रॉपिकल पैंनक्रिएटाइटिस के रोगी पाए जाते हैं, जिनमें शराब के सेवन या आनुवंशिकी का इतिहास बहुत कम मिलता है।
पैंक्रियाटाइटिस का इलाज कैसे संभव है?
इस रोग का कोई स्थापित कारण और इलाज नहीं है। प्ट सिनपके, दर्द निवारक, एंटीबायोटिक्स आदि के माध्यम से अक्यूट स्थिति का प्रबंधन किया जाता है। रोगी आजीवन एंजाइम की खुराक पर निर्भर हो जाते हैं। पैंनक्रिएटाइटिस एक अप्रत्याशित बीमारी है जो प्रगतिशील होती है। रोगी कभी भी अग्नाशयशोथ के दर्द और लक्षणों से पीड़ित हो सकते हैं। उपरोक्त परिपेक्ष्य में, तांबा, पारा, गंधक एवं जड़ी बूटियों के योग से निर्मित आयुर्वेदिक रस औषधि से बार-बार होने वाले गंभीर रोग पैंनक्रिएटाइटिस का सपफलतापूर्वक उपचार कई वर्षों से पड़ाव विशिष्ट चिकित्सा केंन्द्र में किया जा रहा है। ;पड़ाव में अब तक 1600 से ज्यादा मरीजों का इलाज हो चुका हैद्ध इनमें से 800 से अधिक रोगी सपफलतापूर्वक इलाज पूरा का एक सामान्य ज़िंदगी जी रहे हैं।