आज डाइट बागेश्वर में द दून स्कूल के गणित विभागाध्यक्ष श्री चंदन सिंह घुघत्याल ने सभी प्रतिभागियों को योग्यता आधारित शिक्षा (Competency Based एजुकेशन) (CBE) और योग्यता आधारित प्रश्न (Competency Based क़ुएस्तिओन्स) (CBQ) बनाने के विषय में जानकारी दी। उन्होंने गणित अध्यापकों का आह्वान किया कि गणित के पठन-पाठन को रोचक और प्रभावी बनाने के लिए अनुभवात्मक शिक्षण विधि (Experiential Learning) और नवाचार को अपनाएँ।
श्री घुघत्याल ने कहा कि वे स्वयं भी नए-नए तरीकों को सीखते हैं और बच्चों के साथ मिलकर विभिन्न विधियों का अनुसरण करके गणित शिक्षा को सरल और आनंददायक बनाते हैं। उन्होंने कहा कि “गणितीय सीढ़ी” की मदद से गणित को समझना आसान हो जाता है। उन्होंने इस सीढ़ी में पाँच पायदान बताए: पहला, रुचि; दूसरा, समझ; तीसरा, अभ्यास; चौथा, प्रश्न हल करने की कला; और पाँचवां, आत्मविश्वास। इन पायदानों के सहारे छात्र न केवल अच्छे अंक ला सकते हैं, बल्कि गणित पढ़ाई को आनंददायक भी बना सकते हैं।
श्री घुघत्याल ने CBE को रटने वाली पारंपरिक विधि का उत्कृष्ट विकल्प बताया और कहा कि यह नई शिक्षा नीति के युग में छात्रों के चहुँमुखी विकास के लिए आवश्यक है। साथ ही, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के इस नए युग में क्षमताओं का विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने ‘कार’ विधि (Context, Application, Reasoning) से प्रश्न बनाने की कला पर प्रकाश डाला, जिससे बेहतर ‘Competency Based क़ुएस्तिओन्स’ बनाए जा सकते हैं। सत्र के दौरान उन्होंने बागेश्वर जिले से संबंधित कई गणितीय प्रश्न बनाए और सभी अध्यापकों से अपील की कि वे अपने क्षेत्र से जुड़े प्रश्नों के माध्यम से बच्चों को शिक्षित करें, जिससे उनका गणितीय ज्ञानवर्धन हो सके।
श्री घुघत्याल ने डाइट बागेश्वर के प्राचार्य श्री मनोज पांडेय और बरिष्ठ प्रवक्ता डा बी.डी. पांडे का भी आभार व्यक्त किया और कहा कि बागेश्वर के अध्यापकों के साथ संवाद करना उनका सौभाग्य मिला है। उन्होंने बागेश्वर जनपद से अपने पुराने जुड़ाव का जिक्र करते हुए कहा कि यहाँ की नैसर्गिक सुंदरता और संघर्षों से वह भलीभांति परिचित हैं। सत्र के अंत में डॉ पांडेय ने धन्यवाद व्यक्त करते हुवे पुरे सेशन का उपसंहार प्रस्तुत किया।
सत्र के अंत में उन्होंने सभी शिक्षकों को प्रेरित करते हुए कहा कि गणित को सरल और रुचिकर बनाने के लिए निरंतर नवाचार और अनुभवात्मक शिक्षण का प्रयोग करें।
श्री घुघत्याल ने प्रश्न हल करने की कला में ‘RUCSAC’ विधि को अत्यंत उपयोगी बताया, जिसमें प्रत्येक चरण समस्या समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने विस्तार से समझाया कि पहले R – Read (पढ़ें) में प्रश्न को ध्यानपूर्वक पढ़ना चाहिए, फिर U – Understanding (समझें) के तहत उसकी गहराई से समझ बनानी चाहिए। इसके बाद, C – Choose (चुनें) में समस्या हल करने के लिए सही विधि का चयन किया जाता है, फिर S – Solve (हल करें) में चुनी हुई विधि से समस्या हल की जाती है। हल करने के बाद A Answer (उत्तर दें) में सही उत्तर लिखा जाता है, और अंत में C – Check (जाँचें) में पूरे समाधान और उत्तर की जाँच की जाती है। इस विधि के माध्यम से छात्र बेहतर कौशल और आत्मविश्वास के साथ प्रश्न हल कर सकते हैं। श्री घुघट्याल ने इसे गणित के प्रश्नों को हल करने का एक बेहतरीन तरीका बताया, जो न केवल उत्तर देने की क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि सोचने-समझने की शक्ति को भी मजबूत करता है।