स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाही थौल, टिहरी उत्तराखंड
परमहंस स्वामी रामतीर्थ जी महाराज का 150वीं जयंती वर्ष समारोह में खैट पर्वत क्षेत्र के लिए प्रस्तावित “योग विध्यापीठ” के लिए समर्थन माँग कर समाज के प्रति अपनी प्राथमिकता को दोहराया: सीए श्री राजेश्वर पैन्यूली, सह संयोजक-आर्थिक प्रकोष्ठ, बीजेपी उत्तराखंड
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आज 10 सितंबर 2024 को स्वामी रामतीर्थ परिसर बादशाही थौल, टिहरी में परमहंस स्वामी रामतीर्थ जी महाराज जी के 150वीं जयंती वर्ष के शुभ अवसर पर उनके जीवन पर आधारित पुस्तक विमोचन और वेदान्त सम्मेलन के आयोजन का उद्घाटन माननीय श्री हरिवंश नारायण सिंह जी उपसभापति राज्यसभा द्वारा किया गया ।
सभा में अति विशिष्ट अतिथि कुलपति श्री देव सुमन विश्वविद्यालय प्रोफेसर एन. के. जोशी व पूर्व सचिव भाई कमलानंद जी की उपस्थिति रही । सभा में श्री ताराचंद वैध जी बतौर विशिष्ट अतिथि श्री किशोर उपाध्याय जी (विधायक टिहरी) व सीए श्री राजेश्वर पैन्यूली जी एवम् सुश्री इमरान मरला जी की उपस्थिति रही । कार्यक्रम की अध्यक्षता व संचालन श्री ए.ए. बौडाई-निदेशक एच.एन.बी. गढ़वाल यूनिवर्सिटी व श्री विनोद चमोली जी ने किया।
पुस्तक विमोचन और वेदान्त सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभाग कर रहे सी ए श्री राजेश्वर पैन्यूली सह संयोजक आर्थिक प्रकोष्ठ बीजेपी उत्तराखंड ने सम्मेलन को संबोधित किया आपने कहा की यह विलक्षण महापुरुष स्वामी रामतीर्थ जी की 150वीं जयंती वर्ष का शुभ कार्यक्रम है जिन्होंने समाज में राष्ट्रप्रेम और अध्यात्म की अलख जगाई । भारतीय सस्क्रति एवं अध्यात्मवाद का शंखनाद कर सच्चे वेदांत का सारे जग में प्रचार प्रसार कर उसे श्रेष्ठ ऊंचाईयो तक पहुँचाया।
आपके कारण टिहरी व भागीरथी तट पवित्र हुवे, इन सबके लिए भारतीय समाज उनका सदैव ऋणी रहेगा। आपने तैंतीस साल की अल्प आयु में जीवन को श्रेष्ठ बनाए रखने के लिये राष्ट्रीयता के गुणों पर जोर दिया। वह चाहते थे की प्रत्येक व्यक्ति देश का सम्मान बढ़ाने के लिए कड़ा परिश्रम करे। स्वामी रामतीर्थ जी ने सत्य और वेदांत की शक्ति की महत्ता को प्रतिपादित किया आपने उद्धरणों से सिद्ध किया की विद्या से आत्मज्ञान होता है और यही वेदांत की शिक्षा है स्वामी रामतीर्थ शिक्षा से मिले आत्मज्ञान को ही जीवन की सफलता का एक मात्र साधन मानते थे
स्वामी रामतीर्थ जी महाराज ने शिक्षा द्वारा युवकों के शरीर निर्माण और चरित्र निर्माण की आवश्यकता पर विशेष ध्यान देने का हमेशा ही संदेश दिया। आजादी के अमृतकाल में आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम से, स्वामी जी महाराज के महान योगदान और त्याग को, समाज मे जीवंत रखने के प्रति हम सभी की जिम्मेदार बहुत बढ़ जाती है ।
सी.ए. श्री राजेश्वर पैन्यूली अपने उद्बोधन मे कहा की वेदान्त, चरित्र निर्माण शिक्षा के प्रसार के प्रति कार्य को सुनिश्चित करना ही परमहंस स्वामी रामतीर्थ जी महाराज के प्रति सच्ची भक्ति होगी । इसी संदर्भ में अपने विचार को आगे बढ़ते हुवे “खैट पर्वत क्षेत्र के विकास के मुद्दे और क्षेत्र के लिए प्रस्तावित “योग विध्यापीठ” और उसके विभिन्न परिसरों के विस्तार के सम्बन्ध में उपस्थित विद्त जनों से समर्थन माँग कर अपनी प्राथमिकता को दोहराया । आपने कहा की प्रस्तावित “योग विध्यापीठ” पर्वतीय समाज की सामाजिक पुस्तक विमोचन और वेदान्त सम्मेलन में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभाग कर रहे सी़ ए श्री राजेश्वर पैन्यूली सह संयोजक आर्थिक प्रकोष्ठ बीजेपी उत्तराखंड ने सम्मेलन को संबोधित किया आपने कहा की यह विलक्षण महापुरुष स्वामी रामतीर्थ जी की 150वीं जयंती वर्ष का शुभ कार्यक्रम है । जिन्होंने समाज में राष्ट्रप्रेम और अध्यात्म की अलख जगाई । भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्मवाद का शंखनाद कर सच्चे वेदांत का सारे जग में प्रचार प्रसार कर उसे श्रेष्ठ ऊंचाईयो तक पहुँचाया।
आपके कारण टिहरी व भागीरथी तट पवित्र हुवे, इन सबके लिए भारतीय समाज उनका सदैव ऋणी रहेगा द्यआपने तैंतीस साल की अल्प आयु में जीवन को श्रेष्ठ बनाए रखने के लिये राष्ट्रीयता के गुणों पर जोर दिया। वह चाहते थे की प्रत्येक व्यक्ति देश का सम्मान बढ़ाने के लिए कड़ा परिश्रम करे।
स्वामी रामतीर्थ जी ने सत्य और वेदांत की शक्ति की महत्ता को प्रतिपादित किया आपने उद्धरणों से सिद्ध किया की विद्या से आत्मज्ञान होता है और यही वेदांत की शिक्षा है स्वामी रामतीर्थ शिक्षा से मिले आत्मज्ञान को ही जीवन की सफलता का एक मात्र साधन मानते थे
स्वामी रामतीर्थ जी महाराज ने शिक्षा द्वारा युवकों के शरीर निर्माण और चरित्र निर्माण की आवश्यकता पर विशेष ध्यान देने का हमेशा ही संदेश दिया। आजादी के अमृतकाल में आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम से, स्वामी जी महाराज के महान योगदान और त्याग को, समाज मे जीवंत रखने के प्रति हम सभी की जिम्मेदार बहुत बढ़ जाती है । सीए श्री राजेश्वर पैन्यूली अपने उद्बोधन मे कहा की वेदान्त, चरित्र निर्माण शिक्षा के प्रसार के प्रति कार्य को सुनिश्चित करना ही परमहंस स्वामी रामतीर्थ जी महाराज के प्रति सच्ची भक्ति होगी द्यइसी संदर्भ में अपने विचार को आगे बढ़ते हुवे “खैट पर्वत क्षेत्र के विकास के मुद्दे और क्षेत्र के लिए प्रस्तावित “योग विध्यापीठ” और उसके विभिन्न परिसरों के विस्तार के सम्बन्ध में उपस्थित विद्त जनों से समर्थन माँग कर अपनी प्राथमिकता को दोहराया। आपने कहा की प्रस्तावित “योग विध्यापीठ” पर्वतीय समाज की सामाजिक दृसांस्कृतिक- वैचारिक एकजुटता को स्थानीय प्राकृतिक वातावरण के साथ ही नैसर्गिक पांडित्य, योग,-ज्योतिष आदि परंपरागत ज्ञान को औपचरिक स्वरूप व पहचान दिलाई जा सकती है और आज की परिस्थितियों में इस ओर बढ़ता हर कदम परमहंस स्वामी रामतीर्थ जी महाराज की सीख के प्रति हमारा सच्चा समर्पण होगा